इतिहास
व्यक्तित्व बन गए अतीत,
अतीत बन गया इतिहास।
बिंदु बनकर खो गया
सशक्त कभी का तेज, ताप।
योद्धा भीषण, बड़े विकराल—
प्रकृति के उत्कृष्ट कलाकार;
झरोखों से झाँक रहे उदास—
विवश कर देती ऊँची दीवार।
यह क़िला नहीं ईंटों का है,
यह तो समतल पृष्ठों का है।
वर्षों के कठिन श्रम का उपलब्ध,
बनकर रह गया चंद शब्द।
शब्द कुछ काल तो रहे आदर्श,
प्रेरणा के स्रोत भी रहे अवश्य,
पर बदल गए जब मानदंड,
उदाहरण वे अब न रहे ज्वलंत।
धूल की परतें छा गईं,
उग आई उनपर शुष्क घास।