प्रेमचंद
(३१ जुलाई १८८० – ८ अक्टूबर १९३६)
1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शोन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखण्ड को ‘प्रेमचंद युग’ या ‘प्रेमचन्द युग’ कहा जाता है। । (साभार: विकिपीडिया)
उपन्यास
Nirmala novel chapter 3 by Premchand
Nirmala novel chapter 3 by Premchand
निर्मला: अध्याय 3 / भाग 9–12
Nirmala novel chapter 4 by Premchand
Nirmala novel chapter 4 by Premchand
निर्मला: अध्याय 4 / भाग 13–16
Nirmala novel chapter 5 by Premchand
Nirmala novel chapter 5 by Premchand
निर्मला: अध्याय 5 / भाग 17–20
Nirmala novel chapter 6 by Premchand
Nirmala novel chapter 6 by Premchand
निर्मला: अध्याय 6 / भाग 21–24
Nirmala novel chapter 7 by Premchand
Nirmala novel chapter 7 by Premchand
निर्मला: अध्याय 6 / भाग 25–27